यह कविता वर्तमान समय में चल रहे मनुष्यों के छल-प्रपंच से दुःखी एक मनुष्य की पीड़ा को दर्शाती है। यह कविता वर्तमान समय में चल रहे मनुष्यों के छल-प्रपंच से दुःखी एक मनुष्य की पीड़ा...
जीते जी ही माता पिता की सेवा कर लो सच्चे श्राद्ध की बस यही पुकार है, मरने के बाद कौन जीते जी ही माता पिता की सेवा कर लो सच्चे श्राद्ध की बस यही पुकार है, मरने ...
हम गरीब है लाचार नहीं मदद करो साहब प्रचार नहीं। हम गरीब है लाचार नहीं मदद करो साहब प्रचार नहीं।
एक दिखावे की दूजी खुद के लिए....ऐसी ज़िंदगी सच में जीते हैं लोग एक दिखावे की दूजी खुद के लिए....ऐसी ज़िंदगी सच में जीते हैं लोग
क्या ये आत्मा से आत्मा का है मिलन? या फिर है किसी के लिए मरण -जीवन? क्या ये आत्मा से आत्मा का है मिलन? या फिर है किसी के लिए मरण -जीवन?
कैसे कर लेते हो तुम, दिखावा इतना जैसे मानो, सच में तुम लौट आते मेरे पास हर बार हो। कैसे कर लेते हो तुम, दिखावा इतना जैसे मानो, सच में तुम लौट आते मेरे पा...